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बुधवार, 3 मार्च 2021

| आइये जाने सुरदास जी के बारे में कुछ बाते - Surdas Biography in hindi |

 

Introduction  ( प्रस्तावना )  


 15 वी शताब्दी के अंधे संत कवि और संगीतकार थे। सूरदास का नाम भक्ति की धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में सर्वोपरि है।  

दास जी को साहित्य का सूर्य भी कहा जाता है। सूरदास जी अपना संपूर्ण जीवन काल श्री कृष्ण के भक्ति में समर्पित कर दिए थे  

आज हम   सूरदास (surdas) के बारे में बात  करने वाले हैं हमारे कई मित्रों को  सूरदास बारे में जानकारी (Surdas  Biography  in hindi ) चाहिए थी।

 तो चलिए  सूरदास के जीवन परिचय ( Surdas  Biography  in hindi) के बारे में जानते हैं!


 
| आइये जाने सुरदास जी के बारे में कुछ बाते - Surdas  Biography  in hindi  |



Table of contents

  • Introduction
  • Surdas Quick bio 
  • Surdas biography in Hindi
  • Hindi poem
  • andhe Kaise hue
  • Kiske bhakt the
  • conclusion


Surdas Quick bio 



   नाम

  सूरदास

  जन्म संवत

  1418

 जन्म स्थान

  रुनकता ग्राम

  मृत्यु

  1583

 मृत्यु स्थान

   पारसोली ग्राम

  पिता का नाम

 रामदास शाश्वत

 गुरु का नाम

 वल्लभाचार्य

 पत्नी का नाम

 आजीवन अविवाहित

 कार्यक्षेत्र

 कवि

 सर्वश्रेष्ठ रचनाएं

 सूरसागर , सूर सारावली , साहित्य लहरी , नल दमयंती

 कर्म क्षेत्र

 सगुण भक्ति काव्य

 नागरिकता

 भारतीय





Surdas biography in Hindi



अधिकांश विद्वानों के मतानुसार हिंदी साहित्य के सूर्य, महाकवि सूरदास का जन्म मथुरा – आगरा के मध्य ‘रुनकता’ गांव में हुआ था। कुछ विद्वानों के मतानुसार आपका जन्म ‘सीही’ नामक गांव में हुआ था। मगर अधिकांश विद्वानों का मत ही उचित प्रतीत होता है क्योंकि सन् 1418 जयौ रुनकता ग्राम ।


एक दिन गऊघाट में सूरदास जी की भेंट श्री वल्लभाचार्य से हुई। महाप्रभु वल्लभाचार्य ने उनको श्रीनाथ मंदिर में कीर्तन करने का भार सौंप दिया। यहीं रहकर सूरदास जी भगवान की कृपा की लीला पदों में गान करने लगे। वल्लभाचार्य के पुत्र विट्ठलनाथजी ने पुष्टि संप्रदाय में दीक्षित 8 भक्त कवियों की एक मंडली बनाई जो ‘अष्टछाप’ कहलाई। सूरदास जी का पारसोली ग्राम में सन 1583 में हुआ।


अनुभूति पक्ष


सूर का साहित्य रागानुराग भक्ति के ओतप्रोत है। आपके साहित्य को अधोलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।
विनय के पद , बाल माधुरी, रूप माधुरी , भ्रमरगीत आदि।


अभिव्यक्ति पक्ष


आपकी रचना ब्रज भाषा में हुई है। भाव व्यंजना की सहज अभिव्यक्ति के कारण शब्दालंकार और अर्थालंकार का यत्र- तत्र सुंदर प्रयोग दर्शनीय सुंदर प्रयोग दर्शनीय है। शैली की दृष्टि से सूरदास जी ने गीतों में पद शैली को अपनाया है। कहा जाता है कि आपने सवा लाख पदों की रचना की थी पदों की रचना की थी, जिनमें से अब 50 – 60 हजार पद ही प्राप्त है।



Surdas in Hindi poem


(1)  सूर,सूर तुलसी ससि उड़गन केशवदास ।


(2)  तत्व – तत्व सूरा कहीं , तुलसी कही अनूठी ।


(3)  किधौ सूर को सर लगौ, कीधौ सूर की पीर ।
      किधौ सूर कौ पद सुनौ, तन – मन धुनत सरीर ।


Surdas ji andhe kaise hue


सूरदास जी बचपन से ही अंधे थे ,अर्थात जन्मांध थे। उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और अंधे होने के बाद भी हमेशा श्री कृष्ण की निस्वार्थ भाव सेवा की और बहुत सारी रचनाएं लिखी। उनके सभी रचनाओं में भक्ति कूट-कूट कर भरी है।



| आइये जाने सुरदास जी के बारे में कुछ बाते - Surdas  Biography  in hindi  |


Surdas ji kiske bhakt the


सूरदास अपने भगवान कृष्ण पर लिखी भक्ति गीतों के लिए जाने जाते है।सूरदास जी की रचनाएं में भगवान श्री कृष्ण के भाव को स्पष्ट देखने को मिलते हैं। जो भी उनकी रचनाओं को पढ़ता है वो कृष्ण की भक्ति में डूब जाता है।

उन्होंने अपनी रचनाओं में भगवान श्री कृष्ण का श्रृंगार और शांत रस में दिल को छू जाने वाला मार्मिक वर्णन किया है। सूरदास जी को हिंदी साहित्य की अच्छी जानकारी थी, अर्थात उन्हें हिंदी साहित्य का विद्वान माना जाता है।


Conclusion  (  निष्कर्ष  )  


आप सभी को  सूरदास  के जीवन से बहुत कुछ सीखने मिला होगा सबसे महत्वपुर्ण  बात जीवन में कभी हार नहीं मानना चाहिए हमेशा कोशिश करनी चाहिए क्योकि कोशिश करने वाली की हार नहीं होती।  

आपके पास surdas biography  in Hindi मैं और जानकारी  हैं, या दी गयी जानकारी मैं कुछ गलत लगे तो तुरंत हमें कमेंट। अगर आपको Life History Of  Surdas in Hindi Language अच्छी लगे तो जरुर हमें WhatsApp Status और Facebook पर Share कीजिये।


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